महासमुंद। प्रधानमंत्री जन-मन आवास योजना ने छत्तीसगढ़ के कमजोर वर्गों के लिए नए जीवन के द्वार खोले हैं। इसी कड़ी में महासमुंद विकासखंड के ग्राम साल्हेभांठा की निवासी सीमा कमार की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। वर्षों से कच्चे मकान में रहने वाली सीमा और उनके परिवार को अब प्रधानमंत्री जन-मन आवास योजना के माध्यम से एक पक्का, सुरक्षित और स्वप्निल घर मिला है, जो उनके लिए खुशियों की सौगात साबित हुआ है।
सीमा कमार का संघर्ष और सपना
सीमा कमार पति रमेश कमार, सास और दो छोटे बच्चों के साथ कच्चे मकान में रह रही थीं। हर मौसम की मार उनके घर को नुकसान पहुंचाती थी और परिवार की रोजमर्रा की जिंदगी को कठिन बना देती थी। आर्थिक तंगी की वजह से उन्होंने कभी पक्का मकान बनवाने का सपना पूरा नहीं कर पाए थे। सीमा का सपना था कि वह और उनका परिवार एक ऐसा घर पाए, जहां वे सुरक्षित और सुकून से रह सकें।
प्रधानमंत्री जन-मन आवास योजना में मिला अवसर
सीमा के पति को प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में जानकारी मिली, जिसमें बेघर या कच्चे मकान में रहने वाले परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराने का प्रावधान था। उन्होंने योजना के लिए आवेदन किया। सर्वेक्षण के बाद अधिकारी उनके परिवार को पात्र मानते हुए आवास निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि उनके खाते में स्थानांतरित कर दी।
सीमा ने अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए खुद निर्माण कार्य में भाग लिया और मजदूरी भी की। सीमा कहती हैं, “पहले यह सब सपना जैसा लगता था, लेकिन अब हम एक पक्के और सुरक्षित घर में खुशी-खुशी रह रहे हैं।”
योजना से मिली कई सुविधाएं और आत्मनिर्भरता
प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत, सीमा के परिवार के सभी सदस्यों के आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड और बैंक खाते भी बनाए गए। बैंक खाता खोलने से परिवार को वित्तीय प्रबंधन में आसानी मिली है। अब वे छोटी-छोटी बचत करके अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए योजनाएं बना रहे हैं। इस योजना ने केवल घर दिया ही नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनने की राह भी दिखाई है।
आभार और उम्मीद
सीमा कमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का हार्दिक आभार व्यक्त किया और कहा कि यह योजना उनके परिवार के लिए वरदान साबित हुई है। उन्होंने सभी गरीब और जरूरतमंद परिवारों से अपील की है कि वे इस योजना का लाभ अवश्य उठाएं और अपने जीवन को संवारें।
प्रधानमंत्री जन-मन आवास योजना ने सीमांत परिवारों को न केवल सुरक्षित आश्रय दिया है, बल्कि उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का भी काम किया है। इससे छत्तीसगढ़ में खुशहाल और आत्मनिर्भर समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा है।