NCERT का बड़ा फैसला: कक्षा 9 से 11 तक के अंक होंगे 12वीं बोर्ड रिजल्ट का आधार

नई दिल्ली।
भारत के स्कूली शिक्षा ढांचे में एक बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया गया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए एक नई मूल्यांकन प्रणाली का खाका तैयार किया है, जिसमें अब केवल कक्षा 12वीं के प्रदर्शन के आधार पर नहीं, बल्कि कक्षा 9 से लेकर 11 तक के अंकों को भी अंतिम परिणाम में जोड़ा जाएगा।

नया मूल्यांकन मॉडल कैसा होगा?

NCERT द्वारा प्रस्तुत इस मॉडल के तहत बोर्ड परीक्षा परिणाम इस प्रकार तैयार किया जाएगा:

  • कक्षा 9 के अंक – 15%
  • कक्षा 10 के अंक – 20%
  • कक्षा 11 के अंक – 25%
  • कक्षा 12 के बोर्ड परीक्षा के अंक – 40%

इसका मतलब है कि अब छात्रों को शुरुआत से ही पढ़ाई में निरंतरता और प्रदर्शन पर ध्यान देना होगा, क्योंकि प्रत्येक वर्ष का मूल्यांकन अंतिम परिणाम में भूमिका निभाएगा।

रिपोर्ट का उद्देश्य और शीर्षक

यह रिपोर्ट “शिक्षा बोर्डों में समानता स्थापित करना” शीर्षक से जुलाई 2024 में शिक्षा मंत्रालय को सौंपी गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश के विभिन्न शैक्षिक बोर्डों में समान मूल्यांकन प्रणाली लागू करना है, ताकि सभी छात्रों को निष्पक्ष और समरूप अवसर मिल सकें।

कौशल-आधारित शिक्षा पर विशेष जोर

NCERT के इस मॉडल में कौशल और व्यावसायिक शिक्षा को भी बराबरी का महत्व दिया गया है। छात्रों को अब केवल अकादमिक विषयों में ही नहीं, बल्कि निम्नलिखित कौशलों में भी क्रेडिट अर्जित करने होंगे:

  • डेटा प्रबंधन
  • कोडिंग और एप्लिकेशन डेवलपमेंट
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
  • संगीत, कला एवं शिल्प
  • अन्य व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम

यह कदम छात्रों को 21वीं सदी के रोजगार-उन्मुख कौशल से लैस करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

स्कूल सुविधाओं और शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी जोर

रिपोर्ट में केवल मूल्यांकन प्रणाली ही नहीं, बल्कि स्कूलों की बुनियादी संरचना और शिक्षकों के विकास पर भी सुझाव दिए गए हैं। इसमें शामिल हैं:

  • पीने के पानी की समुचित सुविधा
  • आधुनिक पुस्तकालय और खेलकूद की व्यवस्था
  • अनुकूल और समावेशी शिक्षण वातावरण
  • शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण एवं गुणवत्ता मूल्यांकन

समग्र शिक्षा की दिशा में बड़ा कदम

यह नया मॉडल छात्रों के समग्र विकास को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य है कि छात्र केवल रटकर परीक्षा पास करने के बजाय लगातार सीखते रहें, कौशल विकसित करें और जीवन के हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

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