महासमुंद: छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशानुसार और “प्लान ऑफ एक्शन” के तहत 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, महासमुंद के तत्वावधान में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बाल श्रम के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने और इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों की जानकारी देने का कार्य किया गया।
कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महासमुंद के सचिव दामोदर प्रसाद चन्द्रा द्वारा पोपट मिक्चर कंपनी न्यू डटरी क्लब बिरकोनी और मनोरमा इंडस्ट्रीज बिरकोनी में विशेष रूप से बाल श्रम कानूनों, NALSA (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण) द्वारा संचालित योजनाओं और विधिक सहायता के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
अपने उद्बोधन में सचिव चन्द्रा ने बताया कि हर वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य बाल श्रम की भयावहता को उजागर करना और इसके उन्मूलन के लिए समाज में जागरूकता लाना है। उन्होंने कहा कि आज भी लाखों बच्चे शिक्षा और सुरक्षित बचपन से वंचित हैं और खतरनाक उद्योगों में काम करने को मजबूर हैं, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है।
चन्द्रा ने कहा कि बाल श्रम की जड़ें गरीबी और सामाजिक असमानता में छिपी हैं। जब तक गरीबी को समाप्त करने और शिक्षा को हर बच्चे तक पहुंचाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक इस समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है। उन्होंने बाल श्रम के खिलाफ कड़े कानूनों को प्रभावी रूप से लागू करने और सामूहिक रूप से बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
शिविर के दौरान उपस्थित लोगों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली निःशुल्क विधिक सहायता, विधिक सलाह, और समाज के कमजोर वर्गों को कानूनी अधिकार दिलाने की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी गई।
कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल बाल श्रम के विरुद्ध जन-जागरूकता फैलाना था, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना था कि हर बच्चा शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण का अधिकार प्राप्त कर सके।