नई दिल्ली। देश में लंबे समय से पेट्रोल और डीजल को GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) के दायरे में लाने की मांग हो रही है। अब इस दिशा में एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है। हाल ही में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बयान दिया कि केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल को GST के तहत लाने के पक्ष में है, लेकिन इसके लिए राज्यों की सहमति ज़रूरी है।
पेट्रोल-डीजल पर अभी कैसे लगते हैं टैक्स?
वर्तमान में पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है और राज्य सरकारें वैट (VAT) वसूलती हैं। इसके अलावा, ट्रांसपोर्टेशन लागत और डीलर का कमीशन भी जोड़ा जाता है, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ जाती हैं।
उदाहरण:
- दिल्ली में पेट्रोल का बेस प्राइस: ₹55.46
- एक्साइज ड्यूटी: ₹19.90
- वैट: ₹15.39
- ट्रांसपोर्ट व कमीशन: ₹3.97
- अंतिम कीमत: ₹94.72 प्रति लीटर
- दिल्ली में डीजल का बेस प्राइस: ₹56.20
- एक्साइज ड्यूटी: ₹15.80
- वैट: ₹12.82
- ट्रांसपोर्ट व कमीशन: ₹2.80
- अंतिम कीमत: ₹87.62 प्रति लीटर
अगर लागू होता GST तो
GST के तहत अधिकतम दर 28% है। अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो टैक्स का बोझ काफी हद तक कम हो सकता है।
जीएसटी में पेट्रोल का नया अनुमानित मूल्य:
- बेस प्राइस: ₹55.46
- 28% GST: ₹15.58
- ट्रांसपोर्ट व डीलर कमीशन: ₹3.97
- कुल कीमत: ₹75.01 प्रति लीटर
इस हिसाब से पेट्रोल करीब ₹19.71 प्रति लीटर सस्ता हो सकता है। डीजल पर भी इसी तरह बड़ी राहत मिल सकती है।
उपभोक्ताओं को राहत, लेकिन राज्यों की राजस्व चिंता
जहां एक ओर आम जनता के लिए यह राहत की खबर हो सकती है, वहीं राज्य सरकारों के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि वैट से मिलने वाला बड़ा राजस्व खत्म हो जाएगा। यही वजह है कि अब तक राज्यों की सहमति नहीं बन पाई है।