लंबे समय से चल रहा था आंगनबाड़ी में भ्रष्टाचार का खेल, अब जांच ने खोल दी पोल

सरायपाली, छत्तीसगढ़। महिला एवं बाल विकास विभाग की एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। परियोजना के सेक्टर रूढ़ा अंतर्गत ग्राम पंचायत कलेंडा के आश्रित ग्राम जोगीदादार में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में लंबे समय से अनियमितताएं और गड़बड़ियों का सिलसिला जारी था, जो अब जांच के बाद उजागर हुआ है। यह मामला एक जागरूक पत्रकार नृपनिधि पाण्डे की शिकायत के बाद प्रकाश में आया।

शिकायत के बाद हुई जांच शुरू

26 जून 2024 को पत्रकार नृपनिधि पाण्डे ने परियोजना अधिकारी को पांच बिंदुओं पर आधारित शिकायत सौंपी थी। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए 19 जुलाई को पर्यवेक्षक को जांच का जिम्मा सौंपा गया। जब महिला पर्यवेक्षक मौके पर पहुंचीं, तो शिकायतकर्ता की उपस्थिति में चार बिंदुओं की गहन जांच की गई।

दस्तावेजों में छेड़छाड़ और फर्जीवाड़ा

जांच के दौरान यह पाया गया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा बच्चों की उपस्थिति पंजी में जानबूझकर काटछांट कर तारीखों को बदला गया था। साथ ही, खाद्यान्न पंजी में कई अवकाश के दिनों में भी फर्जी वितरण दर्शाया गया। गर्भवती और शिशुवती महिलाओं को बांटे जाने वाले रेडी-टू-ईट फूड की पंजी जांच में जनवरी 2023 से जून 2024 तक 95 पैकेट कम पाए गए। इसके अलावा, हितग्राहियों के फर्जी हस्ताक्षर भी उजागर हुए।

बच्चों को नहीं मिला पोषण, मेन्यू से हटकर भोजन

सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार बच्चों को सुबह 50 ग्राम रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थ (हलवा/पोहा) और दोपहर में गरम भोजन मिलना चाहिए, जिसमें चावल, दाल, सब्जी, भाजी, अचार, सलाद, गुड़ आदि शामिल होते हैं। लेकिन जांच में पाया गया कि बच्चों को यह भोजन कभी नियमित रूप से नहीं दिया गया।

भारी मात्रा में खाद्यान्न की गड़बड़ी

खाद्यान्न पंजी में 2 क्विंटल 54 किलो 360 ग्राम चावल की कमी दर्ज की गई है। यही नहीं, शिकायतकर्ता को सामग्री की सूची भी नहीं दी गई, जिससे पांचवे बिंदु पर जांच नहीं हो सकी। अधिकारी ने इस सूची को उपलब्ध कराकर उस बिंदु की जांच दोबारा कराने का आश्वासन दिया है।

2007 से चल रहा है भ्रष्टाचार का खेल

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यदि 2023 से 2024 तक की जांच में इतने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है, तो 2007 से कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पूरे कार्यकाल की जांच की जाए तो और भी बड़े घोटाले सामने आ सकते हैं। यह मामला सरकार की योजनाओं और बच्चों के पोषण से सीधा खिलवाड़ का प्रतीक बन गया है।

अब सवाल यह उठता है…

अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या महिला एवं बाल विकास विभाग इस गंभीर लापरवाही और बच्चों के हक को छीनने वाले दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा या यह मामला भी समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाएगा

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