“महासमुंद: पेड़ों के संरक्षण के लिए जुटे हितेश दीवान, लोगों को कर रहे जागरूक”

महासमुंद जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर स्थित सलिहाभाठा गांव का एक युवा, हितेश दीवान, आज पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और कार्यों के लिए चर्चा का विषय बन गया है। उनका कहना है कि किसी भी अच्छे कार्य के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति के पास स्वयं की इच्छाशक्ति और कार्य के प्रति समर्पण हो, और वह दूसरों की मदद का इंतजार करने के बजाय खुद शुरुआत करे। यही उनके जीवन का आदर्श भी है, जिसे उन्होंने अपनी मेहनत से साबित किया है।

गांव में सामाजिक और पारिवारिक कार्यक्रमों में तालाब का विशेष महत्व होता है। लेकिन जुन्ना तालाब में पेड़ों का अभाव था, जिससे लोगों को गर्मी और धूप से बचने के लिए छांव नहीं मिल पाती थी। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, हितेश ने इस तालाब के किनारे पेड़ लगाने का संकल्प लिया। उन्होंने शुरू में पीपल और नीम के पौधे लगाए और उनका ध्यान रखने के लिए विभिन्न उपाय किए, जैसे पौधों को जानवरों और शरारती तत्वों से बचाने के लिए बाड़ा बंदी करना और उन्हें नियमित पानी देना।

यह कार्य शुरू करने के बाद, धीरे-धीरे वह एक प्रेरणा बन गए और अब तक तालाब के किनारे दस पौधे पेड़ में बदल चुके हैं। इस कार्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने अब उनके बेटे को भी प्रभावित किया है, जिन्होंने अपने जन्मदिन पर एक पौधा लगाकर इसका हिस्सा बनने का संकल्प लिया।

आज भी हितेश अपने द्वारा लगाए गए पौधों की देखभाल करते हैं और उन्हें पानी देने के लिए मटका आदि का इस्तेमाल करते हैं। वह खुद इस कार्य को करते हैं और साथ ही गांव के अन्य लोगों को भी इस दिशा में जागरूक करते हैं। उनका उद्देश्य है कि आने वाले वर्षों में इस तालाब के किनारे पेड़ लोगों को शीतलता और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करें।

हितेश दीवान, जो गांव के युवा समूह में सक्रिय हैं, छोटे बच्चों के लिए प्रेरक कार्यों के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों में भी हमेशा अग्रसर रहते हैं। इस पर्यावरणीय कार्य के लिए भी गांववाले उनकी सराहना करते हैं।

हितेश ने इस वर्ष की बारिश के मौसम में गांववासियों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण को बेहतर बनाने में योगदान दें। उनका मानना है कि छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है और इस दिशा में उनकी यह पहल एक प्रेरणा का स्रोत बन गई है।

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