नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 12वीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की किताब में बड़ा बदलाव करते हुए बाबरी मस्जिद, अयोध्या विवाद, रथयात्रा और कारसेवा से जुड़ी जानकारियों को पाठ्यक्रम से हटा दिया है। इन बदलावों को 2024-25 के शैक्षणिक सत्र से लागू किया गया है।
‘बाबरी मस्जिद’ की जगह अब ‘तीन-गुंबद संरचना’
नई किताब में अब ‘बाबरी मस्जिद’ शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। इसके स्थान पर इसे ‘तीन-गुंबद संरचना’ के रूप में वर्णित किया गया है। इसके अलावा, अयोध्या से संबंधित अध्याय को चार पन्नों से घटाकर केवल दो पन्ने कर दिया गया है।
‘भगवान राम’ की जगह ‘श्री राम’, ‘विवाद’ को कहा गया ‘मुद्दा’
किताब में भाषा में भी बदलाव किए गए हैं। पहले जहां ‘भगवान राम का जन्म स्थान’ लिखा गया था, अब उसकी जगह ‘श्री राम के जन्म स्थान, सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक’ लिखा गया है। इसके साथ ही ‘अयोध्या विवाद’ को अब ‘अयोध्या मुद्दा’ कहा गया है। यह संशोधन इस बात का संकेत देता है कि NCERT अब धार्मिक संवेदनशीलता और समकालीन राजनीतिक घटनाओं के आधार पर कंटेंट में बदलाव कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले की जगह नया फैसला शामिल
किताब में 1994 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हटाकर 2019 में आए नए फैसले को शामिल किया गया है। पहले पाठ में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की भूमिका, अदालत की अवमानना और राष्ट्रीय एकता परिषद के समक्ष उनके वादे की चर्चा थी। अब इन सभी बिंदुओं को हटा दिया गया है।
NCERT निदेशक की सफाई
किताब में किए गए इन बदलावों को लेकर जब NCERT के निदेशक प्रो. दिनेश सकलानी से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह किसी “भगवाकरण” की कोशिश नहीं है। उन्होंने कहा, “भगवाकरण क्या होता है? जब हम किताबें पब्लिश करते हैं, तो किसी विचारधारा का पालन नहीं करते। एक्सपर्ट्स वही करते हैं जो उन्हें पाठ्यक्रम के लिए उचित लगता है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ चुका है, इसलिए किताबों में अब उसी के अनुसार अपडेट किया गया है।
गोधरा दंगों का भी उल्लेख हटाया गया
इसी तरह, 12वीं की किताब से गुजरात के गोधरा कांड और उसके बाद की घटनाओं को भी हटा दिया गया है। इस पर सकलानी ने कहा कि छात्रों को हिंसा और दंगों पर पढ़ने की ज़रूरत हो तो उसके लिए अन्य स्रोत उपलब्ध हैं। उनका कहना था कि पाठ्यक्रम को अपडेट करते समय दोहराव को हटाना और समकालीन प्रासंगिकता को ध्यान में रखना ज़रूरी होता है।