रायपुर। छत्तीसगढ़ की आस्था और सामाजिक समरसता का प्रतीक गिरौदपुरी धाम एक बार फिर विवादों में घिर गया है। धाम में स्थापित जैतखाम के साथ छेड़छाड़ और कटाव की घटना ने प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है। इस संवेदनशील मुद्दे पर रविवार को पूर्व मंत्री और छत्तीसगढ़ सतनामी समाज के प्रमुख चेहरे गुरु रुद्र कुमार ने रायपुर में प्रेसवार्ता कर भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला।
गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि, “गिरौदपुरी सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था और पहचान का प्रतीक है। इस धाम के साथ छेड़छाड़ करना केवल ईंट-पत्थर से नहीं, बल्कि समाज की आत्मा से खिलवाड़ करना है।” उन्होंने आगे आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के सत्ता में आते ही मेला समिति का राजनीतिकरण कर दिया गया है और मेला प्रारंभ होने से पहले पारंपरिक बैठक तक नहीं बुलाई गई।
जैतखाम को काटने की घटना असामाजिक तत्वों की करतूत – रुद्र कुमार
पूर्व मंत्री ने खुलासा किया कि गिरौदपुरी धाम के मुख्य जैतखाम को कुछ असामाजिक तत्वों ने काट दिया है, जो सीधे तौर पर श्रद्धालुओं की भावना को ठेस पहुंचाने जैसा है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार इस पूरे मामले में संवेदनहीन रवैया अपना रही है।
“सरकार को चाहिए कि वह तुरंत दोषियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई करे। यह केवल कानून और व्यवस्था का मुद्दा नहीं, यह हमारी सांस्कृतिक विरासत और आस्था का प्रश्न है,” गुरु रुद्र कुमार ने कहा।
11 सदस्यीय जांच समिति का गठन, गुरु रुद्र खुद जाएंगे गिरौदपुरी
गुरु रुद्र कुमार ने ऐलान किया कि वह स्वयं गिरौदपुरी धाम का दौरा करेंगे और इस पूरे मामले की जांच के लिए 11 सदस्यीय समिति गठित करेंगे। यह समिति घटना की स्थल पर जाकर तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसे शासन-प्रशासन को सौंपा जाएगा।
उन्होंने कहा, “हम चुप नहीं बैठेंगे। जैतखाम हमारे समाज की आत्मा है। हम हर स्तर पर संघर्ष करेंगे जब तक न्याय नहीं मिल जाता।”
भाजपा सरकार की चुप्पी पर सवाल
पूर्व मंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि इतने गंभीर मुद्दे पर सरकार चुप क्यों है? क्या यह चुप्पी किसी मिलीभगत की ओर इशारा नहीं करती? उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस मामले को हल्के में लिया गया, तो समाज सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर होगा।
समाज में आक्रोश, श्रद्धालुओं की भावना आहत
इस घटना के बाद पूरे सतनामी समाज में रोष है। श्रद्धालुओं और सामाजिक संगठनों का कहना है कि जैतखाम के साथ की गई यह हरकत न सिर्फ धार्मिक भावनाओं का अपमान है, बल्कि एक पूरे समुदाय की आस्था पर हमला है।
निष्कर्ष
गिरौदपुरी धाम में जैतखाम को काटने की घटना ने न सिर्फ सियासत को गर्माया है, बल्कि एक गहरे सामाजिक और धार्मिक संकट को भी जन्म दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है।